About Shiv Chalisa

अर्थ- माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।

आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया है। हम आपकी स्तुति, आपकी प्रार्थना किस विधि से करें अर्थात हम अज्ञानी है प्रभु, अगर आपकी पूजा करने में कोई चूक हुई हो तो हे स्वामी, हमें क्षमा कर देना।

शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देख नाग मुनि मोहे ॥

अर्थ: हे भोलेनाथ आपको नमन है। जिसका ब्रह्मा आदि देवता भी भेद न जान सके, हे शिव आपकी जय हो। जो भी इस पाठ को मन लगाकर करेगा, शिव शम्भु उनकी रक्षा करेंगें, आपकी कृपा उन पर बरसेगी।

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो । यहि अवसर मोहि आन उबारो ॥

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे। कांधे मूंज जनेउ साजे।।

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

यह एक चमत्कारीक स्त्रोत है जिसका पाठ करने से भोलेनाथ तो प्रसन्न होते ही है, साथ ही इससे बिगड़े हुए काम भी बन जाते है। इस स्त्रोत के पाठ शिव रात्रि या सावन के महीने में शुभ मानते click here है। शिव जी की अगर कोई श्रद्धा पूर्वक भक्ति करता है तो भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते है। इसी कारण से भोले नाथ को ‘आशुतोष’ के नाम से भी जाना जाता है।

कीन्ह दया तहँ करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥

राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

भगवान शिव की महिमा का बखान करने के लिए अनेकों अष्टकों की रचना हुई है, जिनमें  शिवाष्टक, लिंगाष्टक, रूद्राष्टक, बिल्वाष्टक काफी प्रसिद्ध हैं, जिसमें शिवाष्टक का विशेष महत्व है।

Lord, once the ocean was churned and also the deadly poison emerged, out of one's deep compassion for all, You drank the poison and saved the whole world from destruction. Your throat turned blue, thus You're often known as Nilakantha.

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